मिशन मौसम: 2026 तक बाढ़, सूखा और अनियमित बारिश की सटीक जानकारी संभव, आर्थिक और जनहानि में आएगी कमी
जलवायु परिवर्तन के चलते देश के कई इलाकों में कभी भारी बारिश हो जाती है तो कभी सूखा पड़ जाता है। इससे किसानों को बड़ा नुकसान होता है। इसको देखते हुए मिशन मौसम केंद्र सरकार का एक बड़ा कदम है। इस मिशन के तहत 2026 तक सुपर कंप्यूटर और उपग्रण प्रणालियों को और आधुनिक बनाया जाएगा। इससे किसानों के लिए सटीक भविष्यवाणी समय रहते की जाएगी।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। 2024 के मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश के कारण भारत के कई इलाकों में भयंकर बाढ़ और भूस्खलन हुआ। बारिश के कारण सबसे पहले असम राज्य में और बाद में अगस्त के अंत में भारत के गुजरात में भी भारी बाढ़ आई जिससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ। वहीं दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में सूखे की स्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है और पश्चिमी व मध्य भारत के कुछ हिस्सों में भी यही स्थिति है। बदलते जलवायु परिवर्तन का आलम यह है कि देश में जहां सूखा पड़ता था, अब वहां बाढ़ आ रही है। चरम जलवायु घटनाओं का स्वरूप बदल रहा है। जल चक्र पर भी इसका असर पड़ रहा है। बीते समय में चरम घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इन्हीं घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम करने और इसका मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार ने मिशन मौसम शुरू किया है। ‘मिशन मौसम’ के तहत सरकार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मौसम की भविष्यवाणी को बेहतर बनाने का काम करेगी। हर साल चक्रवात, बाढ़, सूखा और हीटवेव जैसे जलवायु परिवर्तन से उपजी आपदाओं के चलते करीब 10,000 लोगों की मौत हो जाती है। ‘मिशन मौसम’ की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मौसम की सटीक भविष्यवाणी से इनमें से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।