वाहनों का प्रदूषण बना दिल्ली में सबसे बड़ा खतरा, भीड़भाड़ और निजी वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल से बढ़ा प्रदूषण संकट
2019 के स्तर की तुलना में 2023 में वार्षिक पीएम 2.5 के स्तर में 7 प्रतिशत का सुधार दिखाई देता है। दिल्ली को पीएम 2.5 के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए 60 प्रतिशत की कमी की आवश्यकता है। भले ही सर्दियों के चरम में गिरावट आई हो सर्दियों के महीनों के लिए औसत स्तर ऊंचा रहा है।
अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कई तकनीकी उपाय करने के बावजूद, राजधानी दिल्ली में वाहनों से होने वाला प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ते वाहन, दम घुटने वाली भीड़ और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन सेवाएं शहर प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट (सीएसई) के नए विश्लेषण से सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार तमाम कवायदें और उपाय असफल साबित हो रहे हैं। सार्वजनिक परिवहन और स्थानीय वाणिज्यिक परिवहन के लिए सीएनजी कार्यक्रम को लागू करने, 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने, ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, भारत स्टेज 6 उत्सर्जन मानकों की शुरुआत के बाद भी वाहन अभी भी प्रमुख प्रदूषक बने हुए हैं।