Sawan 2025: समस्त ब्रह्मांड स्वरूप और मोक्ष के प्रदाता हैं भगवान शिव, जानिए सावन माह की महिमा
सावन माह की समाप्ति में अब कुछ ही दिन बचे हैं। हिंदू धर्म में यह महीना भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही खास माना गया है। माना जाता है कि सावन में आने वाले हर व्रत-त्योहार का महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक ग्रंथों व पुराणों में भी सावन माह की महिमा बताई गई है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस बारे में।
डा. हरिहर कृपालु त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद। भगवान शिव सृष्टि के आदि देव हैं। विश्व का नाथ बनने की सामर्थ्य केवल उनमें ही है। मुक्ति दाता भगवान शिव अपनी पुरी काशी में ज्योतिर्लिंग स्वरूप में स्थित हैं। श्रीहरि आदि समस्त देवता कैलाशपति शिव की नित्य पूजा-स्तुति करते हैं। भगवान शिव के जो भक्त हैं और उनके नामों का जप करते हैं, वह कर्मों से निर्लिप्त होकर कैवल्य पद के भागी होते हैं।
इसलिए किया जाता है उपवास
सर्वव्यापी भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना वैशिष्ट्य तो है ही, परंतु सावन महापर्व में श्रद्धापूर्वक कण-कण में विद्यमान देश के कोने-कोने में ग्राम-नगर में स्थित किसी शिवलिंग का दर्शन-स्पर्शन, गंगा जल से भक्ति पूर्वक अभिषेक से जीव मुक्त हो जाता है।
संपूर्ण भोगों को भोगने के पश्चात परम ज्ञान तथा परमधाम को प्राप्त करता है। मानव को कैवल्य मोक्ष मिल जाता है। श्रावण मास में भक्ति, आत्म-शुद्धि और मन की शांति के लिए कई लोग उपवास रखते हैं।
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श्रावण मास की महिमा
स्कंद पुराण में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि 'मेरी प्रिया सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ में शरीर त्याग कर हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में श्रावण मास में ही मुझे प्राप्त किया था।' अतः श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र होने से इस मास का नाम श्रावण पड़ा।
अतः इस माह में भगवान शिव का स्मरण मात्र ही समस्त सिद्धियों को देने वाला व समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल, धतूर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, कपूर की आरती के साथ ओम् नमः शिवाय का जप सर्वोत्तम है।
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