विचार: गुजरात से राष्ट्र फिर वैश्विक मंच का चमत्कृत व्यक्तित्व हैं मोदी
IRSS प्रेम शंकर झा ने नरेन्द्र मोदी के 25 वर्षों के नेतृत्व पर प्रकाश डाला है। 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक मोदी ने जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया। गुजरात में भूकंप के बाद पुनर्निर्माण से लेकर ज्योति ग्राम योजना और कृषि विकास तक उनके प्रयासों ने राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
प्रेम शंकर झा। नेतृत्व केवल नीतियों का ढांचा या आंकड़ों का हिसाब-किताब नहीं है। यह वह जीवंत कहानी है जो हर नागरिक के सपनों, आशाओं और संघर्षों को नई दिशा देती है। यह वह विश्वास है जो टूटे हुए मन को जोड़ता है और निराश चेहरों पर मुस्कान लाता है।
सात अक्टूबर 2001 को जब नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि एक नए शासन-दर्शन की शुरुआत थी। यह एक ऐसी सोच थी जहां सरकार केवल आदेश देने वाली संस्था नहीं, बल्कि जनता की आवाज सुनने और उनके लिए कार्य करने वाली प्रणाली थी।
वर्ष 2025 में, अपने सतत नेतृत्व के 25वें वर्ष में, नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के छोटे गांवों से लेकर वैश्विक मंच तक भारत को विश्वास, प्रगति और सशक्तिकरण का प्रतीक बनाया है। उनकी यह यात्रा केवल एक नेता की सफलता नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और जनता की आकांक्षाओं का उत्सव है।
वर्ष 2001 में जब नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली, तब राज्य भयावह भूकंप की तबाही से उबरने की कोशिश में था। जनवरी 2001 का भूकंप, जिसने कच्छ और आसपास के क्षेत्रों को तहस-नहस कर दिया था, ने न केवल इमारतें गिराई थीं, बल्कि लोगों का विश्वास भी तोड़ दिया था। टूटे हुए घर, दरकती दीवारें और निराश चेहरे उस समय की कठोर वास्तविकता थे।
ऐसे समय में, मोदी ने केवल प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि जनता के दिलों में उम्मीद जगाई। उन्होंने अधिकारियों को कार्यालयों से बाहर निकलकर जमीन पर काम करने का निर्देश दिया। गांवों में बैठकर लोगों की समस्याएं सुनीं और योजनाएं उनकी वास्तविक जरूरतों के आधार पर बनाईं।
वर्ष 2003 में शुरू की गई ज्योति ग्राम योजना इस दृष्टिकोण का एक जीवंत उदाहरण थी। इस महत्वाकांक्षी योजना ने गुजरात के 18,065 गांवों और 16 हजार से अधिक बस्तियों में 24 घंटे बिजली पहुंचाई। यह केवल बिजली का विस्तार नहीं था, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने और किसानों, छोटे उद्यमियों और बच्चों की पढ़ाई को सशक्त करने का प्रयास था। इस योजना के परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और बच्चों की पढ़ाई में रात के समय बिजली की उपलब्धता ने शैक्षिक परिणामों को बेहतर किया।
कृषि क्षेत्र में, मोदी ने सूक्ष्म सिंचाई और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। ड्रिप सिंचाई प्रणाली और जल संरक्षण तकनीकों ने गुजरात की कृषि उत्पादकता को 9.6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर तक पहुंचाया, जो उस समय राष्ट्रीय औसत 4.5 प्रतिशत से कहीं अधिक थी। इससे पानी की बचत हुई, खरपतवार कम हुए, और फसलों की पैदावार बढ़ी है। वर्ष 2001 से 2014 तक, गुजरात की कृषि आय में तीन गुना वृद्धि हुई, जिसने किसानों को न केवल आर्थिक स्थिरता दी, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया।
वाइब्रेंट गुजरात समिट, जिसकी शुरुआत वर्ष 2003 में हुई, ने गुजरात को वैश्विक निवेश का केंद्र बनाया। सड़कों, बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे के विकास ने गुजरात को औद्योगिक विकास का माडल बनाया।वर्ष 2001 में कच्छ, जो कभी भूकंप की तबाही से उबरने की चुनौती से जूझ रहा था, वहां 4.5 लाख घरों का पुनर्निर्माण हुआ। स्कूल, अस्पताल और सड़कें दोबारा खड़ी हुईं और लोगों की आंखों में डर की जगह उम्मीद नजर आने लगी। यह गुजरात मॉडल कोई नीति-पुस्तिका नहीं था, बल्कि जनता की जरूरतों, विश्वास और सहभागिता पर आधारित एक जीवंत प्रयोगशाला थी।
मोदी का नेतृत्व केवल प्रशासनिक सुधारों तक सीमित नहीं था। उन्होंने जनभागीदारी को शासन का आधार बनाया। गांवों में पंचायत स्तर पर बैठकों से लेकर वैश्विक निवेशकों के साथ संवाद तक, उन्होंने हर स्तर पर लोगों को जोड़ा। 13 वर्षों तक लगातार तीन बार भारी बहुमत से मुख्यमंत्री चुने जाने के पीछे यही विश्वास था। यह मॉडल विकास को इमारतों और सड़कों से आगे ले गया। यह जनता के आत्मसम्मान और आशाओं का निर्माण था।
वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने गुजरात में सिद्ध जन-केंद्रित दृष्टिकोण को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया। उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी रूप से एक नए युग में प्रवेश कराया। प्रधानमंत्री जनधन योजना ने 53 करोड़ बैंक खोलें। यह योजना केवल वित्तीय समावेशन तक सीमित नहीं थी। इसने गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा से जोड़कर उनकी गरिमा और आत्मविश्वास को बढ़ाया।
उज्ज्वला योजना ने 10.4 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किए, जिसने ग्रामीण महिलाओं को धुएं से मुक्ति दी और उनके स्वास्थ्य में सुधार किया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना ने वर्ष 2024 तक आठ करोड़ से अधिक महिलाओं को सांस की बीमारियों से बचाया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12 करोड़ से अधिक शौचालय बने, जिससे ग्रामीण भारत में खुले में शौच की समस्या कम हुई है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा में सुधार हुआ है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इससे तीन लाख बच्चों की जान बची।
वर्ष 2019 में भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया, जो ग्रामीण भारत और विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। आयुष्मान भारत योजना ने 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया, जिसके तहत सात करोड़ से अधिक लोगों ने उपचार प्राप्त किया।
पीएम आवास योजना ने 4.1 करोड़ पक्के घर बनाकर गरीबों को सुरक्षित आश्रय दिया, जबकि पीएम किसान सम्मान निधि ने 12.5 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष सहायता प्रदान की। ये योजनाएं केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं थीं। इनका उद्देश्य था जनता में आत्मसम्मान, विश्वास और सहयोग की भावना को मजबूत करना।
डिजिटल इंडिया ने भारत को तकनीकी क्रांति के वैश्विक नक्शे पर स्थापित किया। 99 प्रतिशत फोरजी कवरेज और मोबाइल कनेक्शनों ने गांव और शहर के बीच की दूरी को मिटा दिया। अब गांव का छात्र दिल्ली या मुंबई के छात्रों की तरह जानकारी तक पहुंच सकता है, दुकानदार क्यूआर कोड से भुगतान लेता है, और बुजुर्ग घर बैठे गैस बुक करते हैं।
डिजिटल लेन-देन ने पारदर्शिता को बढ़ाया और भ्रष्टाचार को कम किया। मन की बात, जिसके 100 से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं, ने सरकार और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित किया। यह कार्यक्रम केवल एक रेडियो शो नहीं, बल्कि जनता के साथ भावनात्मक और वैचारिक जुड़ाव का प्रतीक बन गया।
आर्थिक मोर्चे पर, मेक इन इंडिया ने भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाया। वर्ष 2014 में जहां मोबाइल फोन उत्पादन के लिए केवल दो इकाइयां थीं, वहीं 2025 तक यह संख्या 300 तक पहुंच गई, जिससे लाखों रोजगार सृजित हुए। स्टार्टअप इंडिया ने 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन दिया, जिनमें से 100 से अधिक यूनिकार्न बने। कोविड-19 के दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के साथ गरीबों, मजदूरों और छोटे उद्यमियों को सहारा दिया।
भारतमाला और सागरमाला परियोजनाओं ने सड़कों, रेलवे और बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाया, जबकि स्वच्छ ऊर्जा पर जोर ने भारत को वैश्विक जलवायु संवाद में अग्रणी बनाया। 2024 तक, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 150 गीगावाट को पार कर चुकी थी। सुरक्षा और विदेश नीति में भारत ने निर्णायक रुख अपनाया। वर्ष 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक ने देश को आत्मविश्वास दिया।
जी20, ब्रिक्स और क्वाड जैसे मंचों पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका ने वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को मजबूत किया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, केदारनाथ पुनर्निर्माण और अयोध्या राम मंदिर ने भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, जिसे 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता दी, ने योग को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 25 वर्षों की नेतृत्व यात्रा केवल सत्ता की कहानी नहीं, बल्कि जन-आकांक्षाओं को साकार करने का प्रतीक है। गुजरात के छोटे गांवों से दिल्ली के लाल किले तक, उन्होंने विकास, पारदर्शिता और विश्वास को भारत की पहचान बनाया। उनका नेतृत्व दृढ़ता, संवेदनशीलता और दूरदर्शिता का संगम है। यह यात्रा हमें सिखाती है कि जब नेतृत्व जनता के सपनों से जुड़ता है, तो वह न केवल इतिहास रचता है, बल्कि भविष्य को भी आकार देता है।
आज, 25वें वर्ष में, नरेन्द्र मोदी भारतीय लोकतंत्र के सबसे भरोसेमंद चेहरों में से एक हैं। यह मील का पत्थर उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि उस भारत की जीत है जो आत्मनिर्भरता, समावेशिता और प्रगति की ओर अग्रसर है। यह हर भारतीय के लिए प्रेरणा है कि सपने, प्रयास और भरोसा मिलकर एक समृद्ध, सशक्त और वैश्विक भारत का निर्माण कर सकते हैं। (लेखक आइआरएसएस अधिकारी हैं)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।