जागरण संपादकीय: आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी, सामाजिक विकास में भी बढ़ रही भूमिका
जल जीवन मिशन की पहल ने महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य में भूमिका निभाई है और यही कारण है कि इस वर्ष इस योजना हेतु आवंटित राशि को बढ़ाकर 20476 करोड़ कर दिया गया है। इसी कड़ी में पीएम आवास योजना-ग्रामीण भी है जो महिलाओं के आत्मसम्मान के संरक्षण और सुरक्षित जीवन का आश्वासन देती है। इस योजना हेतु आवंटित राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
ऋतु सारस्वत। केंद्रीय बजट लैंगिक समानता को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाने वाला रहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘जेंडर सेंसेटिव बजट’ आवंटन का हिस्सा वित्त वर्ष 2024-25 के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25-26 में 8.86 प्रतिशत कर दिया है। जेंडर बजट विवरण में महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण के लिए 4.49 लाख करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। यह वित्त वर्ष 2024-25 के 3.27 लाख करोड़ रुपये से 37.25 प्रतिशत अधिक है।
महिला हितैषी बजट को सामान्यतः जेंडर बजट कहा जाता है। इसके जरिये सुनिश्चित किया जाता है कि विकास के लाभ पुरुषों के बराबर महिलाओं को भी प्राप्त हों। 2005-06 में जेंडर बजट को जब पहली बार केंद्रीय बजट में अंगीकार किया गया था तो कुल बजट की 2.79 प्रतिशत राशि इस हेतु आवंटित हुई थी। तब यह नौ मंत्रालयों/ विभागों तक सीमित थी।
अब जेंडर बजट 49 मंत्रालयों/विभागों की विभिन्न नीतियों और योजनाओं का हिस्सा बन चुका है। सरकार की अनेक नीतियां एवं योजनाएं महिला सशक्तीकरण को केंद्र में रखकर चलाई जा रही हैं, क्योंकि बिना आधी आबादी को साथ लिए देश को सुदृढ़ आर्थिक एवं सामाजिक सबलता नहीं दी जा सकती। इसे सरकार के साथ समाज को भी समझना होगा।
बजट महिलाओं के वित्तीय समावेशन को रेखांकित करता है। बजट में महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि शामिल है, जो उनके लिए आर्थिक सुदृढ़ता का मार्ग प्रशस्त करेगी। हालिया बजट में पहली बार उद्यम स्थापित करने वाली पांच लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए पांच वर्षों में दो करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है।
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम ने महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स के लिए 227.12 करोड़ के वित्त पोषण की मंजूरी दी है। जनवरी 2023 से औपचारिक रूप से स्थापित 2.41 करोड़ उद्योगों में से 63 प्रतिशत महिला स्वामित्व वाले हैं। केंद्र सरकार महिलाओं की आर्थिक सबलता हेतु जहां स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं के प्रति संवेदनशील है, वहीं उन मार्गों को प्रशस्त करने का भी प्रयास कर रही है, जिनसे महिलाएं रोजगार प्राप्त कर सकें।
नमो ड्रोन दीदी उन योजनाओं में से एक है, जिसने कृषि क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम करने की एक ठोस पहल की है। इस योजना के सबलीकरण और ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सुदृढ़ीकरण हेतु वर्ष 2025-26 में 950.85 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इस हेतु 250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
इस योजना हेतु बजटीय राशि की बढ़ोतरी स्पष्ट कर रही है कि नमो ड्रोन दीदी योजना आर्थिक स्वावलंबन में सहायक बन रही है। कृषि क्षेत्र भी महिला केंद्रित होने के संकेत दे रहा है। कृषि उन्नति योजना में 2024-25 की 2131.91 करोड़ की राशि को बढ़ाकर 2550 करोड़ रुपये करने से कृषि क्षेत्र में भी महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा।
देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक पशुधन, मत्स्य पालन तथा डेयरी उद्योग हैं। विभिन्न सरकारी नीतियों के कारण इन उद्योगों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। यह महिला सशक्तीकरण के लिए शुभ संकेत है। डेरी उद्योग में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन, वितरण और संबंधित कार्यों को संभाल रखा है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेरी विकास हेतु आवंटित राशि 540 करोड़ रुपये प्रस्तावित है। यह इस तथ्य की स्वीकारोक्ति है कि भविष्य में यह उद्योग महिला स्वावलंबन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 2019-20 में नीली क्रांति का आरंभ करने वाली पीएम मत्स्य संपदा योजना में पिछले वित्त वर्ष की आवंटित राशि 75 करोड़ को बढ़ाकर 123.25 करोड़ कर दिया गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 2024-25 में आवंटित राशि 15,047 करोड़ को बढ़ाकर 2025-26 के बजट में 19,005 करोड़ कर दिया गया है। ग्रामीण महिलाओं के रोजगार के एक प्रमुख आधार मनरेगा को 40,000 करोड़ रुपये मिले हैं, जो 2024-25 में आवंटित राशि 37,654 करोड़ से अधिक हैं।
लैंगिक समानता का दूसरा महत्वपूर्ण घटक स्वास्थ्य है।
स्वास्थ्य मानव पूंजी की समृद्धि और स्थिर आर्थिकी के लिए मूल्यवान संपत्ति है। बेहतर स्वास्थ्य उत्पादकता को बढ़ाता है, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि करता है और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करता है। इसी कारण केंद्रीय बजट में इस बार सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण-2.0 योजना की आवंटित राशि को पिछले वित्त वर्ष की तुलना में दोगुना करते हुए 450.98 करोड़ रुपये किया है।
इस योजना के तहत आठ करोड़ बच्चों, एक करोड़ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषक आहार दिया जाता है। महिला स्वास्थ्य के लिए दशकों से स्वच्छ जल एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है। स्वच्छ जल का अभाव उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को घातक रूप से प्रभावित करता है।
जल जीवन मिशन की पहल ने महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य में भूमिका निभाई है और यही कारण है कि इस वर्ष इस योजना हेतु आवंटित राशि को बढ़ाकर 20,476 करोड़ कर दिया गया है। इसी कड़ी में पीएम आवास योजना-ग्रामीण भी है, जो महिलाओं के आत्मसम्मान के संरक्षण और सुरक्षित जीवन का आश्वासन देती है। इस योजना हेतु आवंटित राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। इस तरह केंद्रीय बजट 2025-26 का जेंडर बजट महिला सशक्तीकरण की राह दिखा रहा है।
(लेखिका समाजशास्त्री हैं)
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