जागरण संपादकीय: अमेरिका से एक और खतरा, टैरिफ के बाद एच-1 बी वीजा खत्म करने का बनाया जा रहा माहौल
यह सही है कि एच-1 बी वीजा का सर्वाधिक लाभ भारतीय उठाते हैं लेकिन ऐसा वे अपनी योग्यता के बल पर करते हैं। तथ्य यह भी है कि इस वीजा व्यवस्था से खुद अमेरिका लाभान्वित हुआ है। यदि उसकी सिलिकान वैली की कंपनियों ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है तो भारतीयों की मेधा के बल पर।
एक ऐसे समय जब भारत सरकार और कारोबार जगत ट्रंप की मनमानी टैरिफ नीति से निपटने में लगा हुआ है, तब अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक की ओर से एच-1 बी वीजा को धोखाधड़ी करार दिया जाना अमेरिका से उभरने वाले एक और खतरे का संकेत है। भारत को ट्रंप टैरिफ का जवाब देने के साथ इस खतरे से भी निपटने की तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि वाणिज्य मंत्री के अतिरिक्त अमेरिकी राष्ट्रपति के कुछ और सहयोगी भी एच-1 बी वीजा खत्म करने की जरूरत जता रहे हैं।
इससे यदि कुछ स्पष्ट होता है तो यही कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन भारत के हितों के खिलाफ खड़ा हो गया है। ट्रंप और उनके सहयोगियों के भारत विरोधी रवैए से इस आशंका को बल मिलता है कि वे अपने रणनीतिक सहयोगी भारत को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखने लगे हैं। लगता है ट्रंप और उनके साथी इस नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि भारत उसके लिए वैसे ही चुनौती बन सकता है, जैसे चीन बन गया है।
वे अपने संकीर्ण नजरिए के चलते यह देखने को तैयार नहीं कि चीन तानाशाही शासन और विश्व व्यवस्था को धता बताने वाला देश है, जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों के प्रतिबद्ध देश है। संभवत ट्रंप और उनके सहयोगियों को यह रास नहीं आ रहा है कि तेजी से अपना कद बढ़ाता भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को लेकर सचेत और सक्रिय है।
यदि ट्रंप, उनके सहयोगी और कुछ अमेरिकी विचारक यह समझते हैं कि भारत अमेरिका से सहयोग प्राप्त करने के बदले हर मामले में उसकी हां में हां मिलाए तो यह संभव नहीं। भारत ने तो ऐसा तब नहीं किया, जब वह आर्थिक रूप से कमजोर था। उभरते भारत से तो किसी को भी ऐसी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। भारत का अतीत इसकी गवाही देता है कि वह कठिन परिस्थितियों में भी अमेरिका के अनुचित दबाव में नहीं आया।
यह सही है कि एच-1 बी वीजा का सर्वाधिक लाभ भारतीय उठाते हैं, लेकिन ऐसा वे अपनी योग्यता के बल पर करते हैं। तथ्य यह भी है कि इस वीजा व्यवस्था से खुद अमेरिका लाभान्वित हुआ है। यदि उसकी सिलिकान वैली की कंपनियों ने दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है तो भारतीयों की मेधा के बल पर। जैसे ट्रंप की मनमानी टैरिफ नीति के दुष्परिणाम अमेरिका को भुगतने होंगे, वैसे ही एच-1 बी वीजा व्यवस्था में भारत को लक्ष्य कर किया जाना वाला बदलाव भी उसे ही क्षति पहुंचाएगा।
जो भी हो, भारत को 50 प्रतिशत ट्रंप टैरिफ का सामना करने के साथ ही अन्य कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने को भी तैयार रहना चाहिए। अब नरमी दिखाने का विकल्प शेष नहीं। अब यह मानकर चलना चाहिए कि ट्रंप का भारत विरोधी रवैया उनके शक्तिहीन होने के बाद भी जारी रह सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।