जागरण संपादकीय : सीमा सुरक्षा से सेमीकंडक्टर तक, लाल किला से आत्मनिर्भरता का उद्घोष
लाल किले से प्रधानमंत्री के लंबे संबोधन का सार यही है कि भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए कमर कस चुका है। यदि प्रधानमंत्री की घोषणाओं को जमीन पर उतारने के लिए किसी को सबसे अधिक सक्रियता दिखानी होगी तो वह है नौकरशाही। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि सत्तारूढ़ नेता तमाम घोषणाएं करते हैं लेकिन नौकरशाही उनके अनुरूप पूरी इच्छाशक्ति और ईमानदारी नहीं दिखाती।
स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री के संबोधन की प्रतीक्षा रहती ही है। इस बार अधिक थी, क्योंकि देश घरेलू और बाहरी मोर्च पर कई चुनौतियों का सामना करने के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की खुली धमकियों का भी सामना कर रहा है। यह अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने इन चुनौतियों से पार पाने का संकल्प व्यक्त करते हुए उनसे निपटने के उपाय भी बताए और इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं।
इन घोषणाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत संकटकाल में अपनी शक्ति को पहचान रहा है और हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। इसका संकेत आतंक के आका और भारत के शत्रु पाकिस्तान से स्थगित सिंधु जल समझौते के संदर्भ में खून और पानी साथ नहीं बहने, दीवाली पर जीएसटी का नया स्वरूप लाने, पीएम विकसित भारत रोजगार योजना शुरू करने, अपना फाइटर जेट बनाने, सेमीकंडक्टर निर्माण में अग्रणी बनने समेत अन्य अनेक घोषणाओं से मिलता है। एक अत्यंत महत्वपूर्ण घोषणा सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफी बदलने के खिलाफ कदम उठाने की भी है। पीएम के संबोधन में आपरेशन सिंदूर की विशेष चर्चा आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य ही थी।
लाल किले से प्रधानमंत्री के लंबे संबोधन का सार यही है कि भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए कमर कस चुका है। यदि प्रधानमंत्री की घोषणाओं को जमीन पर उतारने के लिए किसी को सबसे अधिक सक्रियता दिखानी होगी तो वह है नौकरशाही। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि सत्तारूढ़ नेता तमाम घोषणाएं करते हैं, लेकिन नौकरशाही उनके अनुरूप पूरी इच्छाशक्ति और ईमानदारी नहीं दिखाती। यह किसी से छिपा नहीं कि जहां कई घोषणाओं पर एक हद तक अमल हुआ है और उनका लाभ भी मिला है, वहीं कई योजनाएं आधी-अधूरी ही हैं।
प्रधानमंत्री ने लाल किले से जो कुछ कहा और जो योजनाएं शुरू करने की घोषणा की, यदि उन पर 60-70 प्रतिशत भी क्रियान्वयन हो सके तो देश के आत्मनिर्भर एवं विकसित राष्ट्र बनने का रास्ता आसान हो जाएगा और ट्रंप सरीखे मतलबी नेताओं को सही तरह जवाब भी दिया जा सकेगा। ट्रंप भारत को अपना मित्र देश बताते हैं, लेकिन वे उसे धमकाने में भी लगे हैं। चूंकि वे अपनी हद पार कर गए हैं, इसलिए उनकी धमकियों के आगे झुकने का प्रश्न ही नहीं। यह संदेश मोदी सरकार के साथ-साथ देश को भी देना चाहिए। यह दुर्भाग्य है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इससे बच रहे हैं। यह तो राजनीतिक क्षुद्रता ही है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर लाल किले पर आयोजित समारोह का बहिष्कार किया। ऐसा तो लोग मोहल्ला समितियों के समारोह में भी नहीं करते।
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