मतांतरण के मुद्दे पर सवार भाजपा
conversion Issue In Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में मतांतरण (conversion) का मुद्दा अब गरमाने लगा है। सेवा और शिक्षा के बहाने लोगों को मतांतरित कराने में सफल भी हो रहे हैं। मिशनरियों की नजर अब भी उन आदिवासी इलाकों पर है जहां शिक्षा की ज्योति नहीं पहुंच पाई है और लोग तंगहाली में जीवन जी रहे हैं। ऐसे परिवारों के बीच अपनी दखल बढ़ाकर आसानी से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
नई दिल्ली, डा. सुनील गुप्ता। मतांतरण कराने वालों के निशाने पर आमतौर पर बेहद गरीब तबका होता है। गरीबी और विवशता का लाभ उठाकर धर्म बदलने के लिए बाध्य किया जाता है। छत्तीसगढ़ में मतांतरण का मुद्दा अब गरमाने लगा है। बस्तर एवं सरगुजा के सुदूर वनांचलों के अलावा प्रदेश के मैदानी इलाकों में भी ईसाई मिशनरियों का जोर और दबाव तेजी से बढ़ने लगा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के बहाने ईसाई मिशनरियां प्रदेश के उन इलाकों में अपनी पैठ बना रही हैं जहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग निवासरत हैं।
आदिवासियों के मन में उबल रहा गुस्सा
सेवा और शिक्षा के बहाने लोगों को मतांतरित कराने में सफल भी हो रहे हैं। मिशनरियों की नजर अब भी उन आदिवासी इलाकों पर है जहां शिक्षा की ज्योति नहीं पहुंच पाई है और लोग तंगहाली में जीवन जी रहे हैं। ऐसे परिवारों के बीच अपनी दखल बढ़ाकर आसानी से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसकी प्रतिक्रिया भी बीते महीने सामने आई थी जब आदिवासी मतांतरण के विरुद्ध लामबंद हो गए थे और इस कृत्य का जमकर विरोध किया था। मिशनरी के प्रति आदिवासियों के मन में उबल रहा गुस्सा और नाराजगी पुलिस वालों पर हमले के रूप में सामने आया था।
पिछड़े वर्ग के लोग मिशनरियों के निशाने पर
आदिवासियों के अलावा पिछड़े वर्ग के लोग भी अब मिशनरियों के निशाने पर हैं। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में पिछड़ा वर्ग समाज का एक बड़ा तबका लगातार इनके प्रभाव क्षेत्र में आ रहा है। प्रदेश में मतांतरण के फैलते जाल और बढ़ते दबाव के बीच अब यह प्रदेश में सर्वव्यापी मुद्दा बनने लगा है। इस मुद्दे पर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं की आवाज भी मुखर होने लगी है। रायपुर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक में शामिल एजेंडा और लिए गए निर्णय पर गंभीरता के साथ गौर करने की आवश्यकता है।
कौन उठाएगा कदम?
बैठक में हिंदू परिवार की व्यवस्था पर आघात को रोकने के साथ ही मतांतरण पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प पारित किया गया है। सवाल यह उठ रहा है कि विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक में लिए गए संकल्प पर प्रभावी तरीके से अमल कौन करेगा। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। भाजपा के शीर्ष नेताओं के मतांतरण आरोप पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के अन्य नेता समय-समय पर इसके लिए भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। हालांकि, उनके इस आरोप में राजनीति ज्यादा और जमीनी हकीकत नहीं के बराबर है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव
राज्य सरकार पर भाजपा के आरोप और सत्ताधारी दल की तरफ से उसी अंदाज में उलट जवाब के अलावा मतांतरण पर प्रभावी अंकुश लगाने और इसके पीछे की ताकतों पर सख्ती बरतने के लिए अब तक कुछ किया नहीं गया है। बहुसंख्यक हिंदू समाज के बीच अपनी पैठ बनाना और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी तरह के विकल्प को खुला रखकर चलना साहस नहीं तो क्या है। शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशा निर्देश के बाद भी इस तरह की गतिविधियों पर रोक न लगना चिंता की बात है। चिंता इसलिए कि छत्तीसगढ़ में नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
विहिप नहीं रहेगा चुप
जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आती जाएगी पर्दे के पीछे सक्रिय लोगों को सरकारी संरक्षण में ताकत ही मिलेगी। मिशनरियों के अलावा वर्ग विशेष की बढ़ती सक्रियता के बीच मतांतरण का मुद्दा भी अब गरमाने के साथ ही राजनीतिक रूप से गहराता जा रहा है।
सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने और बहुसंख्यक हिंदू अस्मिता की रक्षा को लेकर जिस तरह विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति में शामिल पदाधिकारियों की चिंता सामने आ रही है, इससे एक बात तो आईने की तरह साफ हो रही है कि छत्तीसगढ़ के लिए चुनावी साल काफी अहम रहने वाला है। विहिप इस तरह की गतिविधियों के बाद चुप रहने वाला नहीं है। विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक और इसमें शीर्ष नेताओं द्वारा लिए गए निर्णय के बाद देश के साथ ही प्रदेश में राजनीति मतांतरण के मुद्दे पर मुखर होगी।
मतांतरण का मुद्दा निरंतर चर्चा में
प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों पर नजर डालें तो बीते पांच महीने से मतांतरण का मुद्दा निरंतर चर्चा में रहा है। प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं की तल्खी भी सामने आ रही है। प्रदेश भाजपा के प्रमुख नेता जिस तरह राजनीतिक रूप से हमलावर रुख अपना रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि विधानसभा चुनाव के आते-आते यह बड़ा मुद्दा बन जाएगा। मतांतरण के मुद्दे पर भाजपा सवार दिखे या सवारी करते नजर आए तो अचरज की बात नहीं होनी चाहिए।
सत्ताधारी दल के सामने पहाड़ जैसी राजनीतिक चुनौती होगी। इस चुनौती से किस तरह पार पाते हैं, राजनीतिक रूप से प्रतिक्रिया किस रूप में सामने आएगी यह भी देखने वाली बात होगी। अग्रगामी संगठनों पर लगी नजर : विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति के एलान के बाद अब राजनीतिक दलों, प्रेक्षकों की नजर अग्रगामी संगठनों पर जा टिकी है। विहिप के निर्णय और संकल्प को बजरंग दल ही पूरा करता आया है। जाहिर सी बात है आने वाले दिनों में बजरंग दल के उठते ठोस कदम पर सबकी निगाहें रहेंगी।
- डा. सुनील गुप्ता संपादकीय प्रभारी बिलासपुर














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