विचार: नरेन्द्र मोदी- एक साधक, एक कर्मयोगी
जब देश चुनौतियों से घिरा था तब मोदी जी जैसे महामानव ने नेतृत्व किया। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने शासन को नई परिभाषा दी और एकात्म मानववाद के दर्शन को नीति निर्माण का आधार बनाया। योजनाओं के माध्यम से गरीब वंचित महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाया गया। GST लागू करने से आर्थिक एकता आई।
योगी आदित्यनाथ। इतिहास साक्षी है कि यह देश जब-जब चुनौतियों से घिरा, तब-तब इस धरती ने ऐसे महामानव दिए, जिन्होंने समय की धारा मोड़ दी। बीसवीं सदी के अंत और इक्कीसवीं सदी के आरंभ में जब भारत संक्रमण और असंतुलन से जूझ रहा था।
ठीक इसी दौर में वडनगर से एक साधारण परिवार का संतति उभरी, जिसने संघर्ष को शक्ति और अवसर में बदला। राजनीति में भारतीय मूल्यों व जनभावनाओं को प्रतिष्ठा दी और भारत को वैश्विक मंच पर नई गरिमा व आत्मविश्वास दिलाया।
आज पूरा देश उस यशस्वी नेतृत्व के जीवन की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। वास्तव में, आज उनके 75वर्ष का यह जीवन केवल व्यक्ति मात्र की यात्रा नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना का जागरण है। 2014 में भारत ने उन्हें प्रधानमंत्री चुना। यह चुनाव केवल सरकार का परिवर्तन नहीं था, बल्कि लोकचेतना के उदय का प्रतीक था। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने शासन को नई परिभाषा दी।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन को अपने नीति निर्माण में आधार बनाया है। उनका मानना है कि विकास केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और मानविक दृष्टि से भी होना चाहिए। इसी दृष्टि से योजनाएं गरीब और वंचित तक पहुंचती हैं, महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाती हैं, और अंतिम नागरिक तक लाभ सुनिश्चित करती हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, डिजिटल क्रांति, और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलें इसी दर्शन का जीवंत प्रमाण हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदृष्टि ने भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक परिवर्तन की राह प्रशस्त की है। करों के संजाल से मुक्ति दिलाकर जीएसटी लागू करना, न केवल ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की संकल्पना को साकार करता है, बल्कि पूरे देश में आर्थिक एकता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा की नई संस्कृति लेकर आया।
इसके माध्यम से भारत का राष्ट्रीय बाजार एकीकृत हुआ, स्थानीय उत्पादों और उद्योगों को वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला। मोदी जी का योगदान केवल विकास योजनाओं तक सीमित नहीं है। ‘विकास भी-विरासत भी’ के मंत्र के साथ मोदी जी के नेतृत्व में पूरा भारत में एक नवीन सांस्कृतिक पुनर्जागरण का साक्षी और सहभागी बन रहा है। भारत स्व से साक्षात्कार कर रहा है।
कुत्सित राजनीति के कारण अपने ही देश में उपेक्षा और तुष्टीकरण का दंश झेलने को विवश सनातन आस्था गौरवान्वित हो रही है। कौन भूल सकता है 22 जनवरी, 2024 का वह ऐतिहासिक अवसर जब पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का संकल्प पूर्ण हुआ। इस चिरप्रतीक्षा के पूरा होने का श्रेय आदरणीय मोदी जी को ही है।
इसी प्रकार काशी-विश्वनाथ धाम का पुनरुद्धार, महाकाल लोक, केदारधाम पुनरोद्धार, काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों के माध्यम से उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक धाराओं को जोड़ना और सुनियोजित उपेक्षा और तिरस्कार से आहत पूर्वोत्तर को विकास की मुख्यधारा में लाना, ये सभी प्रयास भारत की एकात्म चेतना के पुनर्जागरण के प्रतीक बने हैं।
2014 में मोदी जी के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ही भारत की विदेश नीति में क्रांतिकारी परिवर्तन को दुनिया ने देखा और सराहा है। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और हाल में आपरेशन सिंदूर जैसी निर्णायक कार्रवाइयों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति अडिग है।
मोदी जी के नेतृत्व में देश के भीतर आर्थिक नीतियों ने भी एक नई कथा लिखी जा रही है। आधार, जनधन और मोबाइल की ट्रिनिटी ने डिजिटल क्रांति को जन्म दिया। मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान ने युवाओं को नयी उड़ान दी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने अंतरिक्ष में चंद्रयान और गगनयान जैसे अभियानों के माध्यम से नित नए इतिहास रचे हैं। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल डाटा उपभोक्ता देश बना है।
यह कितना सुंदर संयोग है कि सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती और एक भारत-श्रेष्ठ भारत के शिल्पी यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन एक ही दिवस पर होता है। दोनों ही सृजन के प्रणेता हैं, दोनों ही नवनिर्माण के संवाहक हैं। आज जब मोदी जी जीवन के अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं, तो यह अवसर केवल उनके जीवन का पर्व नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास का उत्सव है।
प्रधानमंत्री जी के अमृतकाल के इस नवीन पर्व के शुभारंभ पर उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता की ओर से उन्हें दीर्घायु होने और यशस्वी जीवन की अनंत शुभकामनाएं प्रेषित हैं। मोदी जी का जीवन केवल व्यक्ति मात्र की यात्रा नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना का जागरण है
योगी आदित्यनाथ सीएम, उत्तर प्रदेश
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।