रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के भरोसे 2047 तक ग्लोबल पावर बनेगा भारत
भारत का डिफेंस सेक्टर में पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2025 तक 29 फीसदी और वित्त वर्ष 2030 तक 37 फीसदी बढ़ जाएगा। भारत की सरकार ने पिछले कुछ सालों में देश के रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है। देश में नीतियों में सुधार लाया गया है। इसके अलावा स्वदेशी रक्षा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। देश के राजनीतिक नेतृत्व ने 2047 तक विकसित भारत के विजन को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। इस विजन को मिशन में बदलना और अभी से लक्ष्य निर्धारित करना रक्षा मंत्रालय का काम है। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आधुनिक उपकरणों के साथ मजबूत सशस्त्र बलों की आवश्यकता है। भारत सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। देश में रक्षा उपकरणों का उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं रक्षा उपकरणों के निर्यात के लिए भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। वित्त वर्ष यानी 2022 में हमने कुल 15,920 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों के निर्यात का रिकॉर्ड हासिल किया है। हम अपने आप को अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हथियारों के निर्यात के क्षेत्र में कुछ समय पहले तक भारत की गिनती भी नहीं होती थी। लेकिन बीते आठ सालों में लगभग 16000 करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों का लक्ष्य हासिल कर पाना हमें अपनी क्षमता को लेकर उत्साहित करने के लिए काफी है। हाल ही में आई (SIPRI) रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक हथियार बाजार में हुए लेनदेन का यह महज 0.2 प्रतिशत रहा है। वर्ष 2014 में हमारा रक्षा निर्यात महज 1941 करोड़ रुपये था। सरकार के कई प्रयासों से देश के डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ा है। वहीं भारत की कंपनियां विदेशों में बाजार तलाशने का प्रयास कर रही हैं।