किसान कितनी भी अच्छी फसल उगा ले, इस बात की गारंटी नहीं होती कि उसे इससे अच्छी आय भी हो जाएगी। क्योंकि ज्यादातर मामलों में ऐसा होता है कि अच्छी पैदावार होने पर फसल की कीमत इतनी गिर जाती है कि किसान को फायदा होने की जगह नुकसान हो जाता है। हम हर साल किसानों द्वारा टमाटर, प्याज, लहसुन जैसी फसलों को सड़क पर फेंकने की खबरें देखते हैं। यह बात साबित हो चुकी है कि मंडी की परंपरागत व्यवस्था किसानों को अच्छी कीमत दिलाने में कारगर नहीं है। ऐसे में कृषि उपज के लिए मार्केटिंग चैनल की जरूरत महसूस की जाती रही है और इस दिशा में अलग-अलग प्रयास भी हुए हैं। जागरण एग्री पंचायत में कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के एमडी एवं सीईओ अरुण रस्ते, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड के कुलपति प्रो. राकेश मोहन जोशी और एमएसपी एवं कृषि सुधारों पर प्रधानमंत्री उच्च अधिकार प्राप्त समिति के सदस्य बिनोद आनंद ने इस विषय पर अपने विचार रखे। जागरण प्राइम के सीनियर एडिटर स्कन्द विवेक धर ने सत्र को मॉडरेट किया।

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