हर तीसरे भारतीय को फैटी लिवर, बीपी-शुगर होने पर कई गुना बढ़ा जाता है खतरा

दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के केक स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि अगर किसी व्यक्ति को फैटी लीवर की समस्या के साथ...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली,विवेक तिवारी। भारत में लोगों की जीवनशैली और खानपान में बदलाव के चलते फैटी लिवर, बीपी और शुगर के मामले तेजी से बढ़े हैं। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने इंडो-फ़्रेंच लिवर एंड मेटाबोलिक डिज़ीज़ नेटवर्क की शुरुआत के मौके पर कहा कि देश में लगभग 3 में से 1 भारतीय फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के केक स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि अगर किसी व्यक्ति को फैटी लीवर की समस्या है और उसे हाई बीपी भी है तो उसके जीवन के लिए खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं अगर फैटी लिवर के साथ शुगर की बीमारी है तो मौत का खतरा 25 फीसदी तक बढ़ जाता है। हमारे शरीर में एचडीएल जिसे अच्छा कॉलेस्ट्रॉल माना जाता है इसकी मात्रा कम होने पर भी मौत का खतरा 15 फीसदी तक बढ़ जाता है।
ज्यादातर लोग मानते हैं कि फैटी लिवर की समस्या शराब, खान-पान या मोटापे की वजह से होता है। लेकिन केक मेडिसिन (यूएससी) के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि जरूरी नहीं कि सिर्फ शराब पीने से फैटी लिवर हो ज्यादातर लोग नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के शिकार होते हैं। इसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है। इसे मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज कहा जाता है। इस समस्या के साथ शरीर में कुछ मेटाबोलिक रिस्क फैक्टर जैसे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि बढ़ जाते हैं तो मरीज की मुश्किल बढ़ा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर फैटी लिवर के साथ शुगर , हाई ब्लड प्रेशर, या कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या हो या इनमें से कोई एक भी हो तो मौत का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों में फैटी लिवर के साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी उन लोगों में मौत का खतरा सिर्फ फैटी लिवर वाले लोगों की तुलना में लगभग 40 फीसदी तक बढ़ गया। अब तक विशेषज्ञ ये मानते थे कि फैटी लिवर के साथ शुगर की बीमारी ज्यादा घातक हो सकती है। लेकिन इस लगभग 134,000 लोगों के क्लिनिकल डेटा पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि फैटी लिवर वाले लोगों के लिए शुगर की तुलना में बीपी की बीमारी ज्यादा घातक है।
फैटी लिवर का मतलब है की लिवर में फैट जमा है। खराब खानपान और लाइफस्टाइल के चलते आजकल ये समस्या बड़ी संख्या में लोगों में देखी जा रही है। लखनऊ मेदांता के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर अभय वर्मा कहते हैं कि जिस व्यक्ति को शुगर की बीमारी है उसके लिवर में फैट जमा होने की दर और बढ़ जाती है। हाई ब्लड शुगर किडनी, हार्ट, लिवर सहित कई अंगों पर बोझ बढ़ा देता है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को फैटी लिवर है इसका मतलब है कि उसका लिवर पहले से तनाव में है। ऐसे में हाई ब्लड शुगर उसकी मुश्किल और बढ़ा देता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ बीपी की समस्या है तो उसके लिवर में फैट जमा होने का खतरा बढ़ जाता है। किसी को हाई बीपी और शुगर दोनों है तो लिवर को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। संभव है कि लिवर में कुछ स्थायी बदलाव दिखने लगें। ऐसी स्थिति में लिवर सिरोसिस विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। फैटी लिवर के साथ हाई ब्लडप्रेशर, शुगर और लो एचडीएल हो तो मेटाबॉलिक सिंड्रोम की स्थिति बनती है। जिसमें लिवर को ऐसा नुकसान पहुंच सकता है जिसकी रिकवरी मुश्किल है। ऐसे में मरीज के जीवन के लिए संकट बढ़ जाता है।
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए अच्छा माना जाता है। एचडीएल आपकी नसों में कोलेस्ट्रॉल और लिपिड के जमाव को साफ करने, सूजन को कम करने और सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है। एचडीएल कम होने और एलडीएल ज्यादा होने से नसों में कोलेस्ट्रॉल और लिपिड का जमाव बढ़ता है । ऐसे में शरीर में खून के प्रवाह में मुश्किल आती है।
ज्यादातर लोगों को ये अंदाजा ही नहीं होता है कि उन्हें फैटी लिवर की समस्या है। क्योंकि शुरुआती चरणों में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। लेकिन फैटी लिवर कई सारी बीमारियों की जड़ बन सकता है। हाल ही में साइंस डायरेक्ट में छपे एक शोध में स्पीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर और कैरोलिंस्का यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के चिकित्सक एक्सल वेस्टर कहते हैं, "हमारे अध्ययन से पता चलता है कि फैटी लिवर से पीड़ित लोगों में सिर्फ लिवर की बीमारी ही नहीं होती, बल्कि कई अलग-अलग बीमारियां पनपने लगती हैं, जिससे जान का जोखिम बढ़ जाता है।" उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि फैटी लिवर से पीड़ित लोगों में लिवर की बीमारियों से मौत का खतरा 27 गुना तक बढ़ता है वहीं लिवर कैंसर होने का खतरा 35 गुना तक बढ़ जाता है। इसके अलावा हृदय रोग होने का खतरा 54 फीसदी और लिवर के अलावा अन्य कैंसरों के पनपने और उनसे मौत का खतरा 47 फीसदी तक बढ़ जाता है।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि हमारा लिवर बहुत सारे काम करता है। यहां तक की एचडीएल और एलडीएल कॉलीस्ट्रॉल बनाने भी इसी का काम है। एचडीएल हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। अगर इसकी मात्रा कम है और एलडीएल की ज्यादा है तो इसका मतलब साफ है कि लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। एलडीएल की मात्रा शरीर में ज्यादा होने से हार्ट अटैक और स्टोक का खतरा बढ़ जाता है। जहां तक हम शुगर और हाई बीपी की बात करें तो ये दोनों हमारी नसों को प्रभावित करते हैं। एलडीएल बढ़ने से नसें पतली हो जाती हैं वहीं ऐसी स्थिति में बीपी ज्यादा होने से नसों के फटने का खतरा बढ़ जाता है।
लम्बे समय तक बैठे रहने या शारीरिक गतिविधियां कम करने वाले लोगों में फैटी लिवर का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। हाल ही में हैदराबाद में हैदराबाद विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसे की ओर से आईटी सेक्टर में काम करने वाले लगभग 363 युवाओं पर हुए अध्ययन में पाया गया कि लगभग 84.06% फीसदी कर्मचारियों को फैटी लिवर की समस्या थी। आईटी कर्मचारियों के बीच लंबे समय तक बैठने, शिफ्ट में काम करने और शारीरिक निष्क्रियता से जुड़े व्यावसायिक कारण उनमें फैटी लिवर की समस्या को बढ़ाते हैं।
क्या है फैटी लिवर है?
फैटी लिवर, शराब या गैर-अल्कोहलिक कारणों से लिवर में सामान्य से ज्यादा वसा का जमा होना है। विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापे के कारण होने वाला फैटी लिवर रोग दुनिया और हमारे देश में क्रोनिक लिवर रोगों का सबसे आम कारण बनता जा रहा है।
फैटी लिवर किस कारण से होता है?
आजकल भारत में भी मोटापा एक बहुत ही गंभीर समस्या बन रहा है। मोटापे के चलते लिवर में फैट जमा होने लगती है। शुगर और हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों के अलावा, अधिक वजन वाले व्यक्तियों में फैटी लिवर की बीमारी भी बहुत आम है। ब्लड शुगर फैटी लिवर के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। मोटापा और अतिरिक्त वजन, खास तौर पर पेट के आसपास फैट का जमा होना, फैटी लिवर के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से हैं। इनके अलावा, शराब भी गंभीर फैटी लिवर के लिए जिम्मेदार है। मोटापे और ब्लड शुगर के बढ़ते मामलों के चलते फैटी लिवर हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। ऐसा अनुमान है कि हमारे देश में हर तीन में से एक व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित है।
फैटी लिवर के लक्षण क्या हैं?
किसी व्यक्ति में फैटी लिवर की समस्या है या नहीं ये शुरूआत में नहीं पता चलती है। इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यह देखा गया है कि जैसे-जैसे रोग बढ़ता है तक लक्षण दिखना शुरू होते हैं। शुरुआत में थकान महसूस होना, सुस्ती और पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द या बेचैनी जैसे लक्षण दिखते हैं।
फैटी लिवर की समस्या जब ज्यादा बढ़ जाती है तो इस तरह के लक्षण दिखते हैं
भूख न लगना
पेट में सूजन
पैरों और टांगों में सूजन
ज्यादा पीला मूत्र आना
त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ना
कैसे रखें लिवर का ध्यान
डॉक्टर नरेंद्र कुमार सैनी कहते हैं कि लिवर को सेहतमंद रखने के लिए जरूरी है कि उसपर फैट न जमा होनें दें। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हेल्दी डाइट और नियमित व्यायाम। अगर आप शराब पीते हैं तो या तो बहुत सीमित मात्रा में पीयें या हो सके तो छोड़ दें। खानें में चिकनाई या तला भुना खाना खाने से बचें। खाने में मोटा अनाज और ज्यादा फाइबर वाला खाना शामिल करें। आज लोग अगर अलग तरह के प्रोफेशन के चलते घंटों बैठे रहते हैं। ये आपके लिवर सहित पूरी सेहत के लिए ठीक नहीं है। अपने शरीर को रोज कम से कम एक घंटा दें और व्यायाम करें।
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