दुबई एयर शो में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का दुर्घटनाग्रस्त होना इसलिए और अधिक दुखद है, क्योंकि इसमें पायलट की जान भी चली गई। लड़ाकू विमानों के पायलट इसलिए कहीं अधिक कीमती होते हैं, क्योंकि वे गहन प्रशिक्षण के बाद तैयार होते हैं। उनके न रहने से देश कुशल सैनिक के साथ उनकी ओर से अर्जित की गई क्षमता से भी वंचित हो जाता है। हवाई करतब के जरिये अपनी क्षमता प्रदर्शित कर रहा तेजस ऐसे समय दुर्घटना का शिकार हुआ, जब वह दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा था। दुबई एयर शो में विमानन क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की भागीदारी होती है। यह शो एयरोस्पेस उद्योग के लिए एक ऐसा मंच बन गया है, जहां विमानों की खरीद-बिक्री के सौदे होते हैं।

स्पष्ट है कि ऐसे मंच पर तेजस का दुर्घटनाग्रस्त होना कहीं अधिक दुर्भाग्य की बात है, लेकिन इसे स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजना के लिए किसी तरह के आघात की संज्ञा देना उचित नहीं होगा, क्योंकि कोई ऐसा लड़ाकू विमान नहीं, जो दुर्घटना से दो-चार न होता हो। अति उन्नत माने जाने वाले लड़ाकू विमान भी दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं। तथ्य यह भी है कि किसी एयर शो में लड़ाकू विमान के साथ पेश आने वाला यह पहला हादसा नहीं। इसी अगस्त में पोलैंड में आयोजित एयर शो में अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-16 हवाई करतब दिखाते हुए ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके पहले भी कई एफ-16 विमान दुर्घटना का शिकार हुए हैं। इसकी तुलना में नौ वर्ष पहले भारतीय वायुसेना में शामिल किए गए तेजस के साथ पेश आया यह दूसरा हादसा है।

चूंकि तेजस अपनी क्षमता सिद्ध कर चुका है, इसीलिए वायुसेना ने उसकी खरीद के बड़े आर्डर दिए हैं। तेजस के चलते भारत की गिनती उन चंद देशों में होने लगी है, जिन्होंने अपने लड़ाकू विमान का निर्माण खुद किया है। वायुसेना ने तेजस के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट आफ इन्क्वायरी का जो आदेश दिया, उसके निष्कर्षों को लेकर इस लड़ाकू विमान का निर्माण करने वाली कंपनी एचएएल को भी सजग रहना चाहिए। इस हादसे को एक चुनौती मानकर उससे पार पाने का संकल्प लिया जाना चाहिए।

भारत पहले भी इस तरह की चुनौतियों से पार पा चुका है। जितना आवश्यक यह है कि पर्याप्त संख्या में तेजस लड़ाकू विमान समय रहते तैयार किए जाएं, उतना ही यह भी कि उन्हें और अधिक उन्नत एवं समर्थ बनाने को प्राथमिकता दी जाए। यह कोशिश खास तौर पर होनी चाहिए कि इस लड़ाकू विमान के अधिकाधिक उपकरण स्वदेशी ही हों। सबसे अधिक आवश्यक यह है कि इन विमानों के इंजन के लिए अमेरिका पर निर्भरता खत्म की जाए। ऐसा होने पर तेजस के लिए विश्व बाजार में स्थान बना लेना भी आसान हो जाएगा।