पराली से बनेगा 2जी एथनॉल, फसलों के अवशेष बेच कर भी किसान कर सकेंगे कमाई

हिमाचल सरकार ने 2026 तक प्रदेश को पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत जहां ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल किय...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली की हवा में पराली का धुआं भर जाता है। किसान अगली फसल की तैयारी के लिए समय कम होने के चलते पराली को जला देते हैं। ऐसे में दिल्ली और आसपास की हवा दमघोंटू हो जाती है। हिमाचल सरकार ने इस मुश्किल से निपटने की एक राह दिखाई है। हिमाचल सरकार ने 2026 तक प्रदेश को पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत जहां ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा वहीं सरकार पराली से 2जी एथनॉल (सेकंड जेनरेशन एथनॉल) बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत सोलन में देश की पहली बार पराली से एथनॉल बनाने की इकाई लगाई जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रयास के सफल होने पर खेती से निकलने वाले सभी तरह के अवशेषों से एथनॉल बनाने की योजना पर काम किया जा सकेगा। इससे किसानों को भी पराली के बेहतर दाम मिलेंगे जिससे वो पराली को जलाएंगे नहीं।
पराली जलाए जाने से एक तरफ जहां वायु प्रदूषण बढ़ता है वहीं बड़े पैमाने पर खेतों को भी नुकसान पहुंचता है। भारत में मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की बेहद कमी है। किसान पराली जला कर अपने खेतों को बंजर बना रहे हैं। मिट्टी के लिए ऑर्गेनिक कार्बन बेहद जरूरी है। अगर मिट्टी में इसकी कमी हो जाए तो किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल फर्टिलाइजर भी काम करना बंद कर देंगे। इसका फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अच्छी फसल के लिए मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन होना बेहद जरूरी है। अगर किसान पराली न जलाए तो दूरगामी परिस्थिति में उनकी आय बढ़ सकती है।
हिमांचल सरकार के साथ पराली से 2जी एथनॉल बनाने का प्लांट लगाने में विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रही कंपनी स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक वर्मा कहते हैं कि दो किलो पराली से एक किलो 2जी एथनॉल बनाया जा सकता है। ऐसे में आने वाले समय में पराली का सही इस्तेमाल कर वायु प्रदूषण की समस्या को सुलझाने के साथ ही किसानों की आय भी बढाई जा सकती है। पराली के अलावा गन्ने की खोई, सरसों के अवशेष आदि से भी 2जी एथनॉल बनाया जा सकता है। हमें फसलों के इन अवशेषों का सही इस्तेमाल करना होगा इससे एक तरफ जहां देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा वहीं किसानों की आय को भी बढ़ाया जा सकेगा। कंपनी गुवाहाटी में भी प्रयोग के तौर पर गन्ने की खोई से एथनॉल बनाने की योजना पर काम कर रही है।
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