ओजोन का बढ़ता प्रदूषण पैदा कर सकता है खाद्यान्न संकट, फसलों को पहुंचाता है भारी नुकसान

गर्मियों में ओजोन गैस का प्रदूषण तेजी से बढ़ने लगता है। ऐसे में आने वाले समय में खाद्यान्न संकट की स्थिति पैदा कर सकता है। आईआईटी खड़गपुर से जुड़े शोधक...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में हवा में ओजोन का प्रदूषण तेजी से बढ़ने लगा है। ओजोन का ये बढ़ता प्रदूषण आने वाले समय में खाद्यान्न संकट की स्थिति पैदा कर सकता है। आईआईटी खड़गपुर से जुड़े शोधकर्ताओं की ओर से किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ओजोन के प्रदूषण के चलते भारत में गेहूं, धान और मक्का की पैदावार में गिरावट देखी जा सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर ओजोन के प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो 2050 तक गेहूं की पैदावार में 20 फीसदी और धान और मक्के की फसल में सात फीसदी तक की कमी दर्ज की जा सकती है।
आईआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने जलवायु मॉडल (सीएमआइपी6) से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल कर ये अध्ययन किया है। साथ ही इस अध्ययन में उन्होंने ये जानने का प्रयास किया है कि अगर ओजोन का प्रदूषण बढ़ता है तो इसका भारत में प्रमुख खाद्यान फसलों पर कितना असर पड़ेगा। वायु प्रदूषण पर लम्बे समय से काम कर रहे सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के वैज्ञानिका विवेक चटोपाध्याय कहते हैं कि ओजोन एक ऑक्सीडेंट है। ये पौधों की पत्तियों और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। इसके प्रभाव के चलते हरे पत्ते पीले पड़ जाते हैं। पौधे की पत्तियों को दो चरणों में नुकसान पहुंचता है पहला चरण है क्लोरोसिस जिसमें पत्ते पीले पड़ जाते हैं। वहीं दूसरा चरण है मैक्रोसिस जिसमें पत्तों की सेल डैमेज हो जाती है। वहीं पत्ते की निचली सहत जिसे स्टोमेटा कहते हैं और पत्ते जिसके जरिए गैसों का आदान प्रदान करते हैं उसको भी ओजोन नुकसान पहुंचाता है। गर्मियों के मौसम में गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलने वाला प्रदूषण धुआं जिसमें नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड रहता है ये सूरज की गर्मी की वजह से क्रिया कर ऑक्सीजन बनाता है।
गौरतलब है कि ओजोन बेहद घातक प्रदूषक गैस है। ये एक ग्रीनहाउस गैस भी है जो क्लाइमेट चेंज को बढ़ावा देती है। ओजोन के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें गाड़ियों और पावर प्लांट से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगानी होगी। इसके साथ ही पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल डालते समय हवा में उड़ने वाले पेट्रोल के वाष्प को रोकने के लिए भी तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। भारत ही नहीं आज दुनिया के कई देशों में ओजोन का प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन रहा है।
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